राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बिगड़ती वायु गुणवत्ता से निपटने के लिए गुरुवार (18 दिसंबर 2025) से कड़े प्रतिबंध लागू कर दिए गए हैं। इसके तहत BS-VI मानकों से नीचे के गैर-दिल्ली निजी वाहनों के शहर में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। साथ ही ‘नो पीयूसी, नो फ्यूल’ नियम को भी सख्ती से लागू किया गया है।
नए आदेशों के अनुसार, जिन वाहनों के पास वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUC) नहीं है, उन्हें पेट्रोल पंपों पर ईंधन नहीं दिया जा रहा है। इस नियम को लागू करने के लिए ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर (ANPR) कैमरों, पेट्रोल पंपों पर वॉयस अलर्ट सिस्टम और पुलिस बल की मदद ली जा रही है।
अधिकारियों के मुताबिक, शहर और सीमा क्षेत्रों में 126 चेकपॉइंट्स पर 580 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। इसके अलावा, परिवहन विभाग की प्रवर्तन टीमें भी पेट्रोल पंपों और बॉर्डर प्वाइंट्स पर तैनात की गई हैं, ताकि नियमों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।
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हालांकि, यह प्रवेश प्रतिबंध सीएनजी या इलेक्ट्रिक वाहनों, सार्वजनिक परिवहन, आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई करने वाले वाहनों और जरूरी सेवाएं प्रदान करने वाले वाहनों पर लागू नहीं होगा। वहीं, GRAP-IV प्रतिबंधों के तहत निर्माण सामग्री ले जाने वाले वाहनों को भी दिल्ली में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई है।
इस बीच, दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन (DPDA) ने इन आदेशों के क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियों को लेकर चिंता जताई है। एसोसिएशन ने पर्यावरण मंत्री मंजींदर सिंह सिरसा को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि वह प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार के कदमों का समर्थन करती है, लेकिन ईंधन बिक्री से इनकार करना कानूनी और व्यावहारिक रूप से कठिन है।
DPDA ने कहा कि पेट्रोल पंप कोई प्रवर्तन एजेंसी नहीं है और ईंधन न देने से कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है। साथ ही, एसोसिएशन ने उत्सर्जन जांच प्रणाली को पुराना बताते हुए उसे अपग्रेड करने और तकनीकी खामियों को दूर करने की मांग की है।
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