दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार से यूक्रेन में हिरासत में लिए गए 22 वर्षीय भारतीय छात्र साहिल महमधुसेन मजीठी की शीघ्र वापसी सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया।
साहिल की मां, हसीनाबेन समसुद्दीनभाई मजीठी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने कहा कि उपलब्ध रिकॉर्ड से यह प्रतीत होता है कि युवक को संभवतः रूसी सैन्य अभियान में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया होगा।
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उनका बेटा रूस में पढ़ाई कर रहा था और उसे धोखे से युद्ध क्षेत्र में भेज दिया गया। उन्होंने आशंका जताई कि साहिल को रूसी सेना की ओर से यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में शामिल कर लिया गया, जबकि वह केवल एक छात्र है।
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न्यायालय ने कहा कि यह मामला मानवाधिकारों और भारतीय नागरिकों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है और केंद्र सरकार को इस पर “शीघ्र और ठोस कार्रवाई” करनी चाहिए। अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया कि चार सप्ताह के भीतर एक स्थिति रिपोर्ट (स्टेटस रिपोर्ट) दाखिल की जाए, जिसमें यह बताया जाए कि साहिल की रिहाई और भारत वापसी के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।
सरकारी वकील ने अदालत को आश्वासन दिया कि विदेश मंत्रालय इस मामले को गंभीरता से देख रहा है और यूक्रेनी अधिकारियों के साथ संपर्क में है ताकि छात्र की स्थिति की पुष्टि की जा सके।
अदालत ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी भारतीय नागरिक विदेशी संघर्षों में अनजाने में या दबाव में शामिल न हो।
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