नेपाल में हाल ही में हुए भीषण विरोध प्रदर्शनों ने देश की राजनीति में बड़ा बदलाव ला दिया है। इन प्रदर्शनों के परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को पद से इस्तीफा देना पड़ा और संसद भवन में आगजनी जैसी घटनाएं भी देखने को मिलीं। इन अशांत परिस्थितियों के बीच अब चर्चा तेज हो गई है कि इंजीनियर घिसिंग नेपाल के अगले अंतरिम नेता के रूप में उभर सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार, घिसिंग का नाम इसलिए आगे बढ़ रहा है क्योंकि वे तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ-साथ व्यावहारिक सोच और नेतृत्व क्षमता के लिए जाने जाते हैं। माना जा रहा है कि वे देश को स्थिरता प्रदान करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
हाल के वर्षों में नेपाल ने कई राजनीतिक संकट झेले हैं। युवाओं द्वारा संचालित ‘जनरेशन-ज़ेड’ आंदोलन ने देश में बदलाव की मांग को और प्रबल कर दिया। इन प्रदर्शनों में हिंसा, जनहानि और प्रशासनिक अव्यवस्था भी सामने आई। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अब तक की घटनाओं में 30 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि इंजीनियर घिसिंग जैसे गैर-पारंपरिक नेता का उभरना नेपाल की राजनीति के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है। इससे देश को भ्रष्टाचार और अस्थिरता की पुरानी समस्याओं से बाहर निकालने में मदद मिल सकती है। हालांकि, उन्हें कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ेगा, जिनमें राजनीतिक सहमति, युवाओं की अपेक्षाएं और आर्थिक सुधार शामिल हैं।
भारतीय पड़ोसी राज्यों ने नेपाल में फंसे अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वहीं, नेपाली सेना देश में शांति बहाल करने और हिंसा को रोकने के लिए सक्रिय रूप से तैनात है।
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