फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने स्वीकार किया है कि कैमरून की स्वतंत्रता के युद्ध के दौरान फ्रांस ने दमनकारी हिंसा की थी। यह स्वीकारोक्ति एक पत्र के माध्यम से की गई, जो पिछले महीने कैमरून के राष्ट्रपति पॉल बिया को भेजा गया था।
यह पत्र जनवरी में जारी उस रिपोर्ट के बाद आया है, जिसे फ्रांसीसी और कैमरूनी इतिहासकारों की संयुक्त समिति ने तैयार किया था। रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि 1950 और 1960 के दशक के दौरान, जब कैमरून फ्रांस से स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहा था, उस समय फ्रांस की सेनाओं और प्रशासन ने बड़े पैमाने पर दमन, हिंसा और मानवाधिकारों का उल्लंघन किया था।
मैक्रों ने अपने पत्र में कहा कि फ्रांस को अपने उपनिवेशवाद के इतिहास के इस काले अध्याय को स्वीकार करना चाहिए और पीड़ित परिवारों के दुख को समझना होगा। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि फ्रांस इस ऐतिहासिक सच्चाई को उजागर करने और दोनों देशों के संबंधों को मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
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विशेषज्ञों के अनुसार, यह पहली बार है जब फ्रांस के सर्वोच्च स्तर से इस तरह की स्पष्ट स्वीकारोक्ति सामने आई है। इतिहासकारों का मानना है कि यह कदम फ्रांस और कैमरून के बीच ऐतिहासिक न्याय और सुलह की दिशा में एक महत्वपूर्ण शुरुआत है।
कैमरून की स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुए दमन को लेकर दशकों से आलोचना होती रही है, लेकिन आधिकारिक स्तर पर इसे स्वीकार करने से दोनों देशों के रिश्तों में नई पारदर्शिता आ सकती है।
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