महाराष्ट्र सरकार ने राज्य की सहकारी और निजी चीनी मिलों के बीच गुणवत्तापूर्ण प्रदर्शन को प्रोत्साहित करने के लिए एक नई प्रोत्साहन योजना की घोषणा की है। इस योजना के तहत हर वर्ष तीन सहकारी और तीन निजी चीनी मिलों का चयन कर उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा। इस संबंध में सरकार ने एक प्रस्ताव अधिसूचित किया है।
सरकारी प्रस्ताव के अनुसार, मिलों का मूल्यांकन नौ मानकों पर किया जाएगा। इनमें किसानों को लगातार तीन वर्षों तक निष्पक्ष और पारिश्रमिक मूल्य (FRP) का समय पर भुगतान, चीनी रिकवरी दर, उच्च उत्पादकता वाले किसानों को प्रोत्साहन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग, अधिकतम क्षेत्र कवरेज, कम कार्बन उत्सर्जन और उच्च कार्बन क्रेडिट, सरकारी ऋण की समय पर अदायगी, कर्मचारी सीमा और वेतन वितरण का पालन तथा वित्तीय प्रबंधन शामिल हैं।
एफआरपी भुगतान को 15 अंक दिए जाएंगे, जबकि वित्तीय प्रबंधन और कर्मचारी सीमा को 5-5 अंक मिलेंगे। अन्य सभी मापदंड 10 अंकों के होंगे।
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चयन प्रक्रिया दो स्तरीय समिति प्रणाली के माध्यम से होगी। स्क्रीनिंग कमेटी की अध्यक्षता शुगर कमिश्नर करेंगे, जबकि जॉइंट डायरेक्टर (पुणे) सदस्य सचिव होंगे। समिति में शुगर कमिश्नर कार्यालय के अर्थशास्त्र और प्रशासन विभागों के निदेशक, वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट और शुगर फेडरेशन के प्रतिनिधि तथा दो स्वतंत्र विशेषज्ञ शामिल होंगे।
इसके अलावा, एक स्टीयरिंग कमेटी का गठन सहकारिता मंत्री की अध्यक्षता में किया गया है। अंतिम चयन समिति तीन सर्वश्रेष्ठ सहकारी और तीन सर्वश्रेष्ठ निजी चीनी मिलों का चयन करेगी। पुरस्कार राशि बाद में तय की जाएगी।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पहले घोषणा की थी कि 2025–26 का गन्ना पेराई सत्र 1 नवंबर से शुरू होगा। साथ ही सरकार ने राहत कोष और बाढ़ प्रभावित किसानों की सहायता के लिए प्रति टन गन्ने पर 15 रुपये अधिभार लगाने का निर्णय लिया है।
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