नेपाल के पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक ने उन आरोपों का कड़ा खंडन किया है, जिनमें उन पर जनरल Z प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अत्यधिक बल प्रयोग करने का आरोप लगाया गया था। उन्होंने इन आरोपों को "अफवाह" और "सत्य नहीं" बताया और कहा कि यह राजनीतिक या व्यक्तिगत हितों से प्रेरित हो सकता है।
लेखक ने यह स्पष्ट किया कि अगर जांच की आवश्यकता है, तो इसे कानूनी ढांचे के भीतर और निष्पक्ष तरीके से किया जाना चाहिए। उन्होंने जांच आयोग से अपील की है कि इस मामले की स्वतंत्र और पारदर्शी जांच की जाए, ताकि किसी भी प्रकार का पूर्वाग्रह या असत्य जानकारी मामले में शामिल न हो।
पूर्व मंत्री का कहना है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप जनरल Z के शांतिपूर्ण प्रदर्शन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को समझने में गलतफहमी पर आधारित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार और संबंधित अधिकारियों का उद्देश्य हमेशा कानून और व्यवस्था बनाए रखना रहा है, न कि प्रदर्शनकारियों को डराने या प्रताड़ित करने का।
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विशेषज्ञों का मानना है कि नेपाल में युवा प्रदर्शनकारियों की गतिविधियों और सरकार के बीच जारी तनातनी ने राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बहस को जन्म दिया है। यह घटना युवा राजनीतिक चेतना और लोकतांत्रिक अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करने की चुनौती को उजागर करती है।
लेखक ने निष्कर्ष में यह संदेश दिया कि सरकार और जनता के बीच संवाद और निष्पक्ष प्रक्रिया के माध्यम से ही सकारात्मक और शांतिपूर्ण समाधान निकाला जा सकता है।
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