नेपाल में एक बार फिर राजशाही की वापसी को लेकर चर्चाएं तेज़ हो रही हैं, लेकिन देश की सेना ने साफ़ कर दिया है कि लोकतांत्रिक गणराज्य की वर्तमान व्यवस्था में इसकी कोई गुंजाइश नहीं है।
सूत्रों के अनुसार, नेपाल सेना ने अपने हालिया आकलन में स्पष्ट किया है कि वह अब एक पेशेवर संस्था के रूप में लोकतांत्रिक ढांचे में पूरी तरह समाहित हो चुकी है। सेना का मानना है कि अगर राजशाही की बहाली की कोशिश की जाती है, तो यह न केवल राजनीतिक अस्थिरता पैदा करेगा, बल्कि सेना के भीतर भी संरचनात्मक अव्यवस्था (structural disruption) उत्पन्न होगी।
नेपाल में 2008 में राजशाही समाप्त कर गणतंत्र की स्थापना की गई थी। तब से देश में लोकतांत्रिक संस्थाओं के तहत शासन व्यवस्था को स्थिरता देने की कोशिश जारी है। हालांकि समय-समय पर कुछ समूह और राजपरिवार के समर्थक राजशाही की वापसी की मांग करते रहे हैं।
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विशेषज्ञों का कहना है कि सेना का यह रुख बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि ऐतिहासिक रूप से नेपाल की राजनीति में सेना की भूमिका निर्णायक रही है। अगर सेना ही राजशाही बहाली के विचार का विरोध कर रही है, तो इस मांग की संभावनाएँ लगभग समाप्त हो जाती हैं।
नेपाल सेना ने यह भी दोहराया है कि वह लोकतांत्रिक गणराज्य की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है और उसका लक्ष्य राजनीतिक निष्पक्षता बनाए रखते हुए केवल पेशेवर सैन्य कर्तव्यों का निर्वहन करना है।
इस संकेत से यह साफ हो गया है कि नेपाल की मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था में राजशाही की वापसी अब एक व्यावहारिक संभावना नहीं है। इसके बजाय, ध्यान इस बात पर केंद्रित है कि लोकतंत्र को और स्थिर व मजबूत बनाया जाए।
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