नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ हुए बड़े प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़कने से कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई। यह प्रदर्शन मुख्य रूप से देश के युवा वर्ग, खासकर जनरेशन-ज़ेड द्वारा नेतृत्व किया गया था। राजधानी काठमांडू और आसपास के क्षेत्रों में हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए और सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।
रिपोर्ट्स के अनुसार, हाल ही में नेपाल सरकार ने कुछ लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया था। सरकार का कहना है कि इन प्लेटफ़ॉर्म्स का उपयोग अफवाहें फैलाने और सामाजिक अशांति भड़काने के लिए किया जा रहा था। हालांकि, युवाओं का आरोप है कि यह फैसला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है। साथ ही प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर बढ़ते भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन का भी आरोप लगाया।
स्थिति तब बिगड़ गई जब प्रदर्शनकारियों का एक समूह काठमांडू स्थित संसद भवन परिसर में घुस गया। इसके बाद पुलिस और सुरक्षा बलों ने उन्हें खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। इसी दौरान झड़पें बढ़ गईं, जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए।
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हिंसा की घटनाओं के बाद सरकार ने काठमांडू के कुछ संवेदनशील इलाकों में कर्फ्यू लागू कर दिया है। साथ ही इंटरनेट सेवाओं पर भी कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं ताकि विरोध प्रदर्शनों को फैलने से रोका जा सके।
विश्लेषकों का कहना है कि नेपाल में यह विरोध सिर्फ सोशल मीडिया प्रतिबंध तक सीमित नहीं है, बल्कि यह युवाओं की गहरी असंतुष्टि को दर्शाता है। बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और सरकार की नीतियों से नाराज़गी लंबे समय से बढ़ रही है और अब यह खुलकर सड़कों पर दिखाई देने लगी है।
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