इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बुधवार (22 अक्टूबर 2025) को यह स्पष्ट किया कि उनका देश किसी भी विदेशी संरक्षण के अधीन नहीं है। उन्होंने कहा, “हम संयुक्त राज्य अमेरिका के संरक्षित देश नहीं हैं। इज़रायल अपनी सुरक्षा से जुड़े निर्णय स्वयं करेगा।” यह बयान नेतन्याहू ने अपने कार्यालय द्वारा जारी एक आधिकारिक वक्तव्य में दिया, जो अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वांस की इज़रायल यात्रा से ठीक पहले आया।
बाद में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में नेतन्याहू ने अपने इस रुख को दोहराया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उपराष्ट्रपति वांस ने कहा, “हम भी किसी संरक्षित देश की तरह संबंध नहीं चाहते।” यह संवाद ऐसे समय में हुआ जब वाशिंगटन और तेल अवीव के बीच हाल के महीनों में गाज़ा संघर्ष और सैन्य रणनीति को लेकर मतभेद उभरकर सामने आए हैं।
ध्यान देने योग्य है कि इज़रायल दुनिया में अमेरिकी विदेशी सहायता का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता देश है। 1940 के दशक से अब तक अमेरिका ने उसे 300 अरब डॉलर से अधिक की सहायता दी है, जिसमें अधिकांश राशि सैन्य सहयोग के रूप में रही है। विश्लेषकों का मानना है कि नेतन्याहू का यह बयान अमेरिका पर निर्भरता की आलोचनाओं का जवाब है और घरेलू राजनीतिक वर्ग के लिए एक मजबूत संदेश भी।
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अमेरिकी उपराष्ट्रपति की यह यात्रा दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और सुदृढ़ करने के उद्देश्य से की जा रही है, हालांकि दोनों पक्ष अब भी मध्य पूर्व की सुरक्षा नीतियों को लेकर अलग-अलग प्राथमिकताओं पर कायम हैं।
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