राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने भारत के प्रमुख शहरों में ओजोन प्रदूषण (ozone pollution) बढ़ने पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर और मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में अन्य क्षेत्रों की तुलना में ओजोन की सांद्रता (ozone concentration) अधिक दर्ज की गई।
ओजोन एक गैस है जो वायु में मौजूद सूक्ष्म प्रदूषकों और सूरज की किरणों के संपर्क में आने पर बनती है। उच्च ओजोन स्तर से श्वसन संबंधी समस्याएं, आंखों में जलन, अस्थमा और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों, बुजुर्गों और संवेदनशील लोगों पर इसका अधिक प्रभाव पड़ता है।
CPCB ने रिपोर्ट में कहा कि दिल्ली-एनसीआर और मुंबई में औद्योगिक गतिविधियों, वाहनों की बढ़ती संख्या और भारी यातायात के कारण ओजोन का स्तर अन्य शहरों की तुलना में अधिक है। उन्होंने राज्य और केंद्र सरकारों से आग्रह किया है कि वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, जैसे वाहनों की संख्या नियंत्रित करना, औद्योगिक उत्सर्जन कम करना और हरित क्षेत्रों का विस्तार करना।
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NGT ने निर्देश दिए हैं कि सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समय-समय पर शहरों में ओजोन और अन्य हानिकारक गैसों का स्तर मापें और सार्वजनिक रूप से रिपोर्ट करें। इसके अलावा, लोगों को स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाने की भी सिफारिश की गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ओजोन प्रदूषण को नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह शहरी स्वास्थ्य संकट का बड़ा कारण बन सकता है और आने वाले वर्षों में वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों में वृद्धि हो सकती है।
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