तंजानिया की राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन ने देश के विवादित चुनाव में 97% से अधिक मतों के साथ ऐतिहासिक जीत हासिल की है। शनिवार (1 नवंबर 2025) को घोषित आधिकारिक नतीजों के अनुसार, यह पूर्वी अफ्रीका क्षेत्र में अभूतपूर्व विजय मानी जा रही है।
हालांकि इस चुनाव पर हिंसा और धांधली के आरोपों की छाया रही। विपक्षी दलों और मानवाधिकार समूहों का कहना है कि यह चुनाव लोकतांत्रिक प्रतियोगिता नहीं बल्कि हसन के लिए एक “राज्याभिषेक” जैसा था, क्योंकि उनके दो प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों को चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था।
29 अक्टूबर को हुए मतदान के बाद देश के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन भड़क उठे। प्रदर्शनकारियों ने मतगणना रोकने की कोशिश की, जिसके चलते सरकार ने सेना और पुलिस को तैनात किया। इंटरनेट सेवाएँ भी कई बार बंद की गईं, जिससे यात्रा और शिक्षा प्रभावित हुई।
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संयुक्त राष्ट्र ने पुष्टि की है कि दार एस सलाम और अन्य शहरों में कम से कम 10 लोगों की मौत हुई है। विपक्षी नेता तुंडु लिस्सु को राजद्रोह के आरोप में जेल भेजा गया है, जबकि दूसरे विपक्षी नेता लुहागा मपिना को चुनाव से बाहर कर दिया गया।
मानवाधिकार संगठनों जैसे एमनेस्टी इंटरनेशनल और यूएन विशेषज्ञों ने तंजानिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध, जबरन गायब किए जाने और मनमाने गिरफ्तारियों के मामलों को लेकर चिंता जताई है।
सामिया हसन की यह जीत सत्तारूढ़ चामा चा मापिंदुज़ी (CCM) पार्टी के लंबे शासन को और मजबूत करती है, जिसने 1961 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता के बाद से सत्ता पर पकड़ बनाए रखी है।
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