डोनाल्ड ट्रंप टीम ने संकेत दिया है कि H-1B वीज़ा पर पहले से बढ़ाए गए शुल्क के बाद और भी कड़े प्रतिबंध लागू किए जा सकते हैं। हाल ही में अमेरिका में H-1B वीज़ा आवेदन के लिए शुल्क को $100,000 तक बढ़ाया गया है, जिससे भारतीय पेशेवरों और तकनीकी कंपनियों पर बड़ा असर पड़ने की आशंका है।
ट्रंप की टीम का कहना है कि H-1B वीज़ा प्रणाली का “दुरुपयोग” रोकने और अमेरिकी नागरिकों के रोजगार की सुरक्षा के लिए नए नियमों पर विचार किया जा रहा है। प्रस्तावित कदमों में वीज़ा की पात्रता शर्तों को और सख्त बनाना, कंपनियों के लिए निरीक्षण बढ़ाना और विदेशी कर्मियों की संख्या सीमित करना शामिल हो सकता है।
वर्तमान में, अमेरिकी सरकार हर साल 65,000 H-1B वीज़ा जारी करती है, जबकि अमेरिकी विश्वविद्यालयों से मास्टर डिग्री या उससे अधिक योग्यता रखने वालों के लिए अतिरिक्त 20,000 वीज़ा आरक्षित हैं। बड़ी संख्या में भारतीय इंजीनियर, आईटी विशेषज्ञ और स्वास्थ्य क्षेत्र के पेशेवर इस कार्यक्रम के तहत अमेरिका में काम करते हैं।
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उद्योग जगत ने चेतावनी दी है कि ऐसी नीतियाँ अमेरिकी टेक्नोलॉजी सेक्टर की प्रतिस्पर्धात्मकता को नुकसान पहुँचा सकती हैं और कंपनियों के लिए वैश्विक प्रतिभा तक पहुँच सीमित कर देंगी। वहीं, प्रवासी अधिकार संगठनों ने कहा कि बढ़ा हुआ शुल्क और कठोर नियम “आप्रवासन को अमीरों तक सीमित” करने की दिशा में कदम हैं।
ट्रंप प्रशासन के पिछले कार्यकाल (2017–2021) के दौरान भी H-1B वीज़ा पर कई प्रतिबंध लगाए गए थे, जिन्हें बाइडन सरकार ने आंशिक रूप से शिथिल किया था।
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