दक्षिण अफ्रीका में शनिवार से शुरू हुए G20 शिखर सम्मेलन पर अमेरिका-यूरोप के बीच यूक्रेन युद्ध को लेकर बढ़ते मतभेदों ने गहरी छाया डाल दी, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की अनुपस्थिति भी चर्चा का बड़ा विषय रहा। यह सम्मेलन फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन सहित कई विश्व नेताओं की उपस्थिति में आयोजित हुआ।
अमेरिका ने इस बैठक का बहिष्कार किया, यह कहते हुए कि दक्षिण अफ्रीका की नीतिगत प्राथमिकताएं—जैसे वैश्विक व्यापार सहयोग बढ़ाना और जलवायु कार्रवाई—अमेरिकी नीति के अनुरूप नहीं हैं। सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने ट्रम्प की अनुपस्थिति पर परोक्ष प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों के बीच वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए "बहुपक्षवाद" अत्यंत आवश्यक है।
ट्रम्प भले उपस्थित न हों, लेकिन उन्होंने यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए रूस के हितों के अनुरूप एकतरफा 28-सूत्रीय अमेरिकी योजना पेश कर शिखर सम्मेलन में अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी। यूरोपीय देशों, कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया के नेता इस योजना पर आगे की रणनीति तय करने के लिए बैठक कर रहे हैं।
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यूरोपीय नेताओं—मैक्रों, जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर—ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की से बातचीत के बाद स्पष्ट किया कि किसी भी शांति योजना को यूरोपीय और NATO देशों की सामूहिक सहमति जरूरी है।
इस बीच, ब्राजील में चल रहे COP30 जलवायु सम्मेलन में जीवाश्म ईंधन चरणबद्ध समाप्ति पर असहमति के कारण वार्ता गतिरोध में है, जिससे G20 चर्चा पर भी प्रभाव पड़ा। रामाफोसा ने कहा कि नेताओं द्वारा अपनाया गया संयुक्त घोषणा-पत्र संदेश देता है कि "बहुपक्षवाद परिणाम देता है"।
अमेरिकी बहिष्कार अंतरराष्ट्रीय मंचों से उसकी दूरी को दर्शाता है, जबकि अगले वर्ष का G20 शिखर सम्मेलन ट्रम्प के फ्लोरिडा स्थित गोल्फ क्लब में आयोजित होगा।
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