ट्रंप प्रशासन ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजेलिस (UCLA) को मिलने वाले 339 मिलियन डॉलर के संघीय अनुदान को रोक दिया है। प्रशासन का कहना है कि विश्वविद्यालय पर अधिकारों के उल्लंघन के गंभीर आरोप हैं। इस कदम को अमेरिका के शैक्षणिक जगत में बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर वित्तीय सहायता रोकने का यह पहला मामला है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रशासन का दावा है कि UCLA ने संघीय कानूनों का पालन नहीं किया और कुछ मामलों में छात्रों व स्टाफ के अधिकारों का उल्लंघन हुआ। हालांकि, विश्वविद्यालय ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वह सभी कानूनी मानकों का पालन करता है और अपने छात्रों की स्वतंत्रता व अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
ट्रंप प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि उसने पहले कोलंबिया विश्वविद्यालय के साथ जो समझौता किया था, उसे एक “टेम्पलेट” के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा ताकि अन्य विश्वविद्यालयों में भी इसी तरह के वित्तीय दंड लागू किए जा सकें। इस रणनीति के तहत, अगर कोई विश्वविद्यालय संघीय मानकों का उल्लंघन करता पाया जाता है, तो उसे भारी आर्थिक दंड भुगतना पड़ेगा।
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विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम अमेरिकी विश्वविद्यालयों में संघीय नियमों और अधिकारों के पालन को लेकर एक नई नीति का हिस्सा हो सकता है। इससे अन्य शैक्षणिक संस्थानों पर भी दबाव बढ़ेगा कि वे ट्रंप प्रशासन की शर्तों का पालन करें।
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