यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा है कि उनका देश रूस के साथ लगभग चार वर्षों से जारी युद्ध को समाप्त करने के लिए एक संभावित समझौते के तहत नाटो (NATO) की सदस्यता की अपनी महत्वाकांक्षा छोड़ने पर विचार कर रहा है। इसके बदले यूक्रेन पश्चिमी देशों से ठोस सुरक्षा गारंटी चाहता है। The Indian Witness के अनुसार, जेलेंस्की ने यह बयान बर्लिन में अमेरिकी अधिकारियों के साथ प्रस्तावित शांति वार्ता से पहले दिया।
जेलेंस्की के इस बयान को यूक्रेन की नीति में एक बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। अब तक यूक्रेन ने नाटो में शामिल होने को रूस के संभावित हमलों से सुरक्षा का सबसे मजबूत रास्ता माना था। यही कारण है कि नाटो सदस्यता की आकांक्षा को यूक्रेन के संविधान में भी शामिल किया गया है। रूस ने भी यूक्रेन के नाटो में शामिल होने के विरोध को युद्ध के प्रमुख कारणों में से एक बताया था।
राष्ट्रपति जेलेंस्की ने संकेत दिया कि यदि पश्चिमी देश यूक्रेन को दीर्घकालिक और विश्वसनीय सुरक्षा गारंटी देने को तैयार होते हैं, तो नाटो की सदस्यता पर पुनर्विचार किया जा सकता है। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यूक्रेन किसी भी सूरत में अपनी जमीन या संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा। कीव का रुख अब भी यह है कि रूस को कब्जाए गए क्षेत्रों से पीछे हटना होगा।
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विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रस्ताव एक कूटनीतिक समझौते की दिशा में कदम हो सकता है, जिससे युद्ध को समाप्त करने के रास्ते खुलें। वहीं, यूक्रेन के भीतर इस मुद्दे पर राजनीतिक और सार्वजनिक बहस तेज होने की संभावना है, क्योंकि नाटो सदस्यता को लंबे समय से राष्ट्रीय सुरक्षा का अहम आधार माना जाता रहा है।
आने वाले दिनों में बर्लिन में होने वाली वार्ताएं यह तय करेंगी कि क्या पश्चिमी सुरक्षा गारंटी यूक्रेन के लिए नाटो की सदस्यता का विकल्प बन सकती हैं और क्या इससे रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान की कोई ठोस राह निकल पाएगी।
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