इजरायल-गाजा युद्ध के बीच, संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन को राज्य का दर्जा देने के समर्थन में व्यापक बहुमत देखने को मिला। रिपोर्टों के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के तीन-चौथाई सदस्य देशों ने इस कदम का समर्थन किया है, जिससे फिलिस्तीन के स्वतंत्र राष्ट्र बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सहमति दिखाई दी है।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ ने घोषणा की कि उनका देश भी सितंबर में होने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में फिलिस्तीन को आधिकारिक रूप से मान्यता देगा। यह निर्णय ऑस्ट्रेलिया को उन देशों की सूची में शामिल करता है, जो इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के समाधान के लिए दो-राष्ट्र सिद्धांत का समर्थन करते हैं।
प्रधानमंत्री अल्बनीज़ ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया का मानना है कि स्थायी शांति तभी संभव है जब इजरायल और फिलिस्तीन दोनों को मान्यता प्राप्त और सुरक्षित सीमाओं के भीतर रहने का अधिकार मिले। उन्होंने गाजा में जारी हिंसा और मानवीय संकट पर चिंता जताई और सभी पक्षों से संघर्ष समाप्त करने की अपील की।
और पढ़ें: अमेरिका में पाक सेना प्रमुख मुनीर का भारत विरोधी बयान, जुगुलर वेन टिप्पणी से बढ़ा तनाव
विशेषज्ञों का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया का यह कदम कूटनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिलिस्तीन को समर्थन मजबूत होगा। इससे पहले, कई यूरोपीय, एशियाई और अफ्रीकी देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता दी है, जबकि अमेरिका और कुछ पश्चिमी सहयोगी अभी भी इस मुद्दे पर सावधानी बरत रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र में यह बहुमत वोट ऐसे समय आया है जब गाजा में हिंसा, मानवीय संकट और राजनीतिक गतिरोध अपने चरम पर हैं। इस समर्थन से फिलिस्तीन के लिए कूटनीतिक दबाव और अंतरराष्ट्रीय वैधता बढ़ने की संभावना है, हालांकि इजरायल ने इस पहल का कड़ा विरोध किया है और इसे शांति प्रक्रिया के लिए बाधा बताया है।
और पढ़ें: संसद मॉनसून सत्र दिवस 16: लोकसभा में आज तीन महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा