प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (23 नवंबर 2025) को भारत-ब्राज़ील-दक्षिण अफ्रीका (IBSA) शिखर सम्मेलन में कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार अब “विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता” बन गया है। उन्होंने कहा कि IBSA देशों को वैश्विक शासन संस्थानों में बदलाव की दिशा में एक स्पष्ट संदेश देना चाहिए।
मोदी ने कहा कि जब दुनिया विभाजित और अस्थिर दिख रही है, ऐसे समय में IBSA एकता, सहयोग और मानवता का संदेश दे सकता है। उन्होंने सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए IBSA के स्तर पर NSA बैठक को संस्थागत रूप देने का भी प्रस्ताव किया।
आतंकवाद पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इतनी गंभीर समस्या पर किसी भी प्रकार के दोहरे मानदंड की कोई जगह नहीं है और तीनों देशों को मिलकर आगे बढ़ना होगा।
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तकनीकी सहयोग पर जोर देते हुए पीएम मोदी ने ‘IBSA डिजिटल इनोवेशन एलायंस’ की स्थापना का सुझाव दिया, जिसके तहत UPI, CoWIN जैसे डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, साइबर सुरक्षा ढाँचे और महिला-नेतृत्व वाली तकनीकी पहलों को साझा किया जा सके।
उन्होंने IBSA फंड के योगदान की सराहना की, जिसने अब तक शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और सौर ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में 40 देशों की मदद की है। मोदी ने ‘क्लाइमेट रेजिलिएंट एग्रीकल्चर’ के लिए एक विशेष IBSA फंड बनाने का प्रस्ताव भी दिया।
उन्होंने कहा कि IBSA केवल तीन देशों का समूह नहीं, बल्कि तीन महाद्वीपों, तीन प्रमुख लोकतांत्रिक राष्ट्रों और तीन महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं को जोड़ने वाला मंच है।
मोदी ने अगले वर्ष भारत में प्रस्तावित AI Impact Summit में IBSA नेताओं को आमंत्रित किया और कहा कि सुरक्षित, विश्वसनीय और मानव-केंद्रित AI मानकों को विकसित करने में IBSA की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
पीएम मोदी ने कहा कि मिलेट्स, प्राकृतिक खेती, आपदा प्रबंधन, हरित ऊर्जा, पारंपरिक चिकित्सा और स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में व्यापक सहयोग की संभावनाएं हैं, जो सतत विकास का उदाहरण बन सकती हैं।
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