अमेरिका द्वारा लगाए गए आयात शुल्कों के प्रभाव से भारतीय कंपनियों की कमाई में एशिया के सबसे बड़े कटौती के संकेत सामने आए हैं। वित्तीय विश्लेषकों के अनुसार, भारतीय कंपनियों की आय वृद्धि पिछले पांच तिमाहियों में लगातार एक अंकीय प्रतिशत तक सीमित रही है, जो 2020–21 से 2023–24 के बीच देखी गई 15%–25% की वृद्धि दर से काफी कम है।
विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिकी शुल्क और वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता ने भारतीय कॉर्पोरेट सेक्टर की लाभप्राप्ति क्षमता पर दबाव डाला है। निर्यात पर निर्भर कंपनियों को अमेरिकी बाजार में बढ़े शुल्कों का प्रत्यक्ष प्रभाव महसूस हो रहा है। इसके अलावा, कच्चे माल की बढ़ती लागत और वैश्विक मांग में उतार-चढ़ाव ने भी आय वृद्धि को प्रभावित किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस अवधि में लगातार कमाई में धीमी वृद्धि ने निवेशकों के भरोसे और शेयर बाजार की स्थिरता पर भी असर डाला है। कंपनियों को अपनी लागत संरचना सुधारने, आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने और नए बाजार अवसर तलाशने के लिए रणनीतिक कदम उठाने की आवश्यकता है।
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आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी शुल्कों के प्रभाव को कम करने के लिए भारत को वैकल्पिक बाजार और घरेलू मांग को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। साथ ही, कंपनियों को वित्तीय अनुशासन बनाए रखने और आय वृद्धि के नए स्रोत विकसित करने पर जोर देना होगा।
इस प्रकार, अमेरिकी शुल्क ने भारतीय कंपनियों की आय वृद्धि को लगातार प्रभावित किया है और आगामी तिमाहियों में भी सतर्क रहने की आवश्यकता है।
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