अमेरिका के MIT विश्वविद्यालय के फ्यूचरटेक रिसर्च प्रोजेक्ट के निदेशक प्रोफेसर नील थॉम्पसन ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पत्रकारिता को प्रभावित करेगी, लेकिन यह उसकी सच्चाई और ईमानदारी की परीक्षा भी लेगी। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे तकनीक लोगों को अधिक सक्षम बनाती है, वैसे-वैसे अच्छे पत्रकार और भी बेहतर बनेंगे, लेकिन प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।
थॉम्पसन का मानना है कि भविष्य में भरोसा, सत्यता और पत्रकार की प्रतिष्ठा सबसे कीमती बन जाएंगे। उन्होंने कहा, “AI से कुछ काम आसान होंगे, लेकिन यह झूठी खबरों और गलत जानकारी की बाढ़ भी लाएगा। ऐसे में असली मूल्य उन पत्रकारों का होगा जो सच्चाई और ईमानदारी से काम करेंगे।”
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे सामान्य लोग भी आसानी से लेख लिखने लगेंगे, घटिया गुणवत्ता वाले लेख बढ़ेंगे। ऐसे में सच्ची और विश्वसनीय पत्रकारिता का महत्व और बढ़ जाएगा। पत्रकारों के लिए चुनौती होगी कि वे AI की उत्पादकता को अपनाते हुए विश्वास को बनाए रखें।
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भारत के संदर्भ में प्रोफेसर थॉम्पसन ने कहा कि AI नौकरी बाजार को प्रभावित करेगा, कुछ कार्य खत्म होंगे लेकिन उत्पादकता बढ़ने से नए अवसर भी पैदा होंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर बदलाव की गति पुन: प्रशिक्षण से तेज रही, तो सामाजिक असमानता बढ़ सकती है।
भाषाई विविधता पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत के कई भाषाई मॉडल अभी भी पिछड़े हैं। सभी भाषाओं के लिए डिजिटल डाटा तैयार करना और स्थानीय भाषाओं में AI को प्रशिक्षित करना बेहद जरूरी है।
अंत में उन्होंने कहा, “पत्रकारिता बदलेगी, पर खत्म नहीं होगी। सच्चे पत्रकार और भी जरूरी बन जाएंगे, क्योंकि AI संपादक नहीं, केवल सहायक है।”
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