दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। सोमवार सुबह 6:05 बजे शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 346 दर्ज किया गया, जो "बहुत खराब" श्रेणी में आता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, रविवार को राजधानी के 39 में से 20 निगरानी केंद्रों में AQI 400 से अधिक रहा, जो “गंभीर” श्रेणी है।
जहां अब तक प्रदूषण को सांस और हृदय संबंधी बीमारियों से जोड़ा जाता था, वहीं अब डॉक्टर चेतावनी दे रहे हैं कि इसका असर मानव मस्तिष्क पर भी गहराई से पड़ रहा है।
दिल्ली के न्यूरोलॉजिस्ट्स का कहना है कि पिछले कुछ हफ्तों में 15 से 20 प्रतिशत तक मस्तिष्क संबंधी रोगों जैसे माइग्रेन, सिरदर्द, चक्कर आना और स्ट्रोक के मामलों में बढ़ोतरी हुई है।
इंस्टिट्यूट ऑफ ब्रेन एंड स्पाइन के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. राहुल चावला ने कहा, “प्रदूषण से माइग्रेन के मामलों में सीधा इजाफा हुआ है, यहां तक कि जो लोग पहले सिरदर्द से कभी नहीं जूझे, वे भी अब प्रभावित हो रहे हैं।” उन्होंने बताया कि प्रदूषण से मानसिक तनाव और चिंता से जुड़ी सिरदर्द की शिकायतें भी बढ़ रही हैं।
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पीएम 2.5 कण, जो फेफड़ों के जरिए रक्त प्रवाह और फिर मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं, वहां सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव पैदा करते हैं जिससे न्यूरॉन्स और रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त होती हैं।
अध्ययनों से पता चला है कि लंबे समय तक ऐसे प्रदूषण के संपर्क में रहना मस्तिष्क की संरचना में बदलाव, अल्जाइमर को बढ़ावा और मानसिक थकान जैसी स्थितियां उत्पन्न करता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि स्थिति पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो दिल्ली को भविष्य में एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ सकता है, खासकर बुजुर्गों में स्ट्रोक और डिमेंशिया के मामलों में।
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