यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा गारंटियों के तहत हज़ारों विदेशी सैनिक यूक्रेन में तैनात किए जा सकते हैं। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब युद्ध जारी है और यूक्रेन लगातार अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मांग कर रहा है।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने खुलासा किया कि कुल 26 देशों ने युद्धोत्तर सुरक्षा गारंटी प्रदान करने का वादा किया है। इनमें ज़मीनी सेना, नौसेना और वायुसेना की तैनाती शामिल है। उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल यूक्रेन की रक्षा क्षमता को मज़बूत करेगी बल्कि भविष्य में रूस जैसी किसी भी आक्रामक कार्रवाई को रोकने में मददगार होगी।
ज़ेलेंस्की ने इन प्रतिबद्धताओं का स्वागत किया और कहा कि यह सहयोग यूक्रेन के लिए एक "जीवनरेखा" है। उन्होंने कहा कि विदेशी सैनिकों की तैनाती से यूक्रेन की सुरक्षा व्यवस्था को व्यापक सहारा मिलेगा और देश को स्थिरता हासिल करने में मदद मिलेगी।
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विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से न केवल यूक्रेन की सैन्य स्थिति सुदृढ़ होगी बल्कि यूरोप में सामरिक संतुलन भी बदल सकता है। हालांकि, रूस पहले ही इस तरह की किसी भी अंतरराष्ट्रीय सैन्य तैनाती का कड़ा विरोध कर चुका है और इसे क्षेत्रीय स्थिरता के लिए ख़तरा बताया है।
मैक्रों ने कहा कि इस समझौते का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि युद्ध समाप्त होने के बाद भी यूक्रेन असुरक्षित न रहे। उन्होंने इसे "यूरोप की सामूहिक जिम्मेदारी" बताया।
इन घोषणाओं से साफ है कि यूक्रेन को अब पश्चिमी देशों से और ठोस सैन्य व रणनीतिक सहयोग मिलने वाला है, जो युद्ध के भविष्य पर निर्णायक प्रभाव डाल सकता है।
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