आम आदमी पार्टी (आप) ने घोषणा की है कि वह प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को हटाने से जुड़े विधेयकों की जांच के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में शामिल नहीं होगी। पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि आप ने निर्णय लिया है कि इस समिति के लिए किसी भी सदस्य को नामित नहीं किया जाएगा।
संजय सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि ऐसे विधेयकों की जांच के लिए गठित जेपीसी का कोई औचित्य नहीं है और यह महज राजनीतिक उद्देश्य से की गई कवायद है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस समिति के माध्यम से विपक्षी दलों पर दबाव बनाने और संवैधानिक पदों को लेकर अनिश्चितता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को हटाने के लिए संविधान में पहले से ही स्पष्ट प्रावधान मौजूद हैं, ऐसे में नए विधेयकों की आवश्यकता ही नहीं है। उनके अनुसार, इस तरह की समितियाँ केवल संसदीय प्रक्रियाओं को लंबा खींचने और राजनीतिक विवाद उत्पन्न करने के लिए बनाई जाती हैं।
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आप का यह फैसला संसद के भीतर विपक्षी रणनीति पर भी असर डाल सकता है, क्योंकि अन्य दल इस समिति में शामिल होने को लेकर अपने-अपने रुख स्पष्ट कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आप का यह कदम केंद्र सरकार के खिलाफ उसके टकराव वाले रुख को और स्पष्ट करता है।
जेपीसी की जांच प्रक्रिया से बाहर रहकर आप ने संकेत दिया है कि वह ऐसे किसी भी कदम का हिस्सा नहीं बनना चाहती, जिसे वह असंवैधानिक या गैर-जरूरी मानती है।
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