समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा में पेश उन विधेयकों की कड़ी आलोचना की है, जिनमें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री को गंभीर आरोपों में 30 दिन से अधिक हिरासत में रहने पर अयोग्य घोषित करने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि यह कदम पूरी तरह राजनीतिक प्रेरित है और विपक्षी दलों को कमजोर करने के लिए उठाया गया है।
अखिलेश यादव का कहना है कि इन विधेयकों का असली उद्देश्य सुशासन या ईमानदारी लाना नहीं है, बल्कि विपक्षी दलों के नेताओं को निशाना बनाना और क्षेत्रीय दलों में असंतोष पैदा करना है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस तरह के कदम उठाकर लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर रही है और संवैधानिक संस्थाओं पर दबाव डाल रही है।
उन्होंने कहा कि अगर यह विधेयक लागू होते हैं तो सत्ता पक्ष द्वारा विपक्ष के नेताओं को मनमाने ढंग से फंसाने और गिरफ्तार करने की कोशिशें बढ़ सकती है। इससे क्षेत्रीय दलों के भीतर विद्रोह और राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की साजिश स्पष्ट दिख रही है।
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अखिलेश यादव ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार की जवाबदेही तय करने के लिए पारदर्शिता और निष्पक्ष जांच जरूरी है, न कि विपक्ष को खत्म करने के लिए बनाए गए कानून। उन्होंने विपक्षी दलों से एकजुट होकर ऐसे विधेयकों का विरोध करने की अपील की।
यह विवाद उस समय सामने आया है जब केंद्र सरकार लोकसभा में कई संवेदनशील विधेयक पेश कर रही है, जिन पर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार जनता के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे कदम उठा रही है।
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