प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) को लेकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किसी खास वर्ग, विशेषकर भारत के वंचित और हाशिए पर पड़े नागरिकों की आवाज़ को दबाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
अमर्त्य सेन ने कहा, "लोकतंत्र का मूल आधार यह है कि सभी नागरिकों की आवाज़ सुनी जाए। अगर SIR जैसी प्रक्रिया के जरिए कुछ समूहों को सुनियोजित तरीके से मतदाता सूची से बाहर किया जा रहा है, तो यह लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन है।"
बिहार सहित देश के कुछ अन्य राज्यों में मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान व्यापक स्तर पर नाम हटाने और पहचान सत्यापन की खबरें सामने आ रही हैं। इस प्रक्रिया पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि यह कुछ खास समुदायों और क्षेत्रों को निशाना बना रही है।
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सेन ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि भारत जैसे विविधतापूर्ण समाज में यह सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं समावेशी हों और किसी भी तरह की सामाजिक, आर्थिक या क्षेत्रीय असमानता को बढ़ावा न दें।
उन्होंने चुनाव आयोग से अपील की कि वह पारदर्शिता बनाए रखे और सुनिश्चित करे कि किसी भी भारतीय नागरिक का मताधिकार गलत तरीके से छीना न जाए। सेन के अनुसार, लोकतंत्र तभी मजबूत होता है जब हर नागरिक की भागीदारी समान रूप से सुनिश्चित की जाए।
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