स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के बाद अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) और कंपनी के चेयरमैन अनिल अंबानी को ‘धोखाधड़ी’ श्रेणी में डाल दिया है। यह कदम उस ₹700 करोड़ के ऋण से जुड़ा है, जो अगस्त 2016 में बैंक ऑफ इंडिया ने आरकॉम को उसके पूंजीगत और परिचालन व्यय को पूरा करने तथा मौजूदा देनदारियों के भुगतान के लिए मंजूर किया था।
बैंक के इस फैसले के बाद रिलायंस कम्युनिकेशंस के खिलाफ कानूनी कार्यवाही और तेज हो सकती है। इससे पहले, एसबीआई ने भी आरकॉम और अनिल अंबानी को धोखाधड़ी का आरोपी ठहराते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी।
रिलायंस कम्युनिकेशंस पहले ही दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत कार्यवाही का सामना कर रही है। कंपनी पर कई बैंकों और वित्तीय संस्थानों का भारी बकाया है। बैंक ऑफ इंडिया का कहना है कि ऋण राशि के उपयोग में गड़बड़ी और भुगतान में असफलता के कारण कंपनी और उसके प्रमोटर को ‘फ्रॉड’ श्रेणी में डालना पड़ा।
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विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से अन्य बैंकों को भी इसी तरह की कार्रवाई करने का रास्ता मिल सकता है। इसके अलावा, यह मामला अनिल अंबानी के कारोबारी साम्राज्य पर और दबाव बढ़ा सकता है, जो पहले से ही आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है।
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