पश्चिम बंगाल के कॉलेज इस साल प्रवेश प्रक्रिया में हुई असाधारण देरी से जूझ रहे हैं। इस देरी का आधिकारिक कारण स्पष्ट नहीं किया गया है, लेकिन शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि इसका मुख्य कारण राज्य की नई अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सूची का कानूनी विवाद में फंसना है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, ओबीसी आरक्षण से संबंधित नई सूची को लेकर कई याचिकाएं दायर की गईं, जिससे प्रवेश प्रक्रिया प्रभावित हुई। इसके चलते कॉलेजों को निर्धारित समय पर एडमिशन शुरू नहीं कर पाए और अब उन्हें शैक्षणिक सत्र को समय पर पूरा करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
कॉलेज प्रशासन का कहना है कि प्रवेश प्रक्रिया में हुई इस देरी का असर न केवल छात्रों पर पड़ेगा बल्कि शिक्षण कार्यक्रमों और परीक्षा शेड्यूल पर भी पड़ेगा। कई कॉलेज अब वैकल्पिक उपायों पर विचार कर रहे हैं, जैसे कक्षाओं का समय बढ़ाना या अतिरिक्त सत्र आयोजित करना, ताकि कोर्स समय पर पूरा हो सके।
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शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है तो इससे छात्रों की पढ़ाई और प्लेसमेंट पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। वहीं, सरकार ने कहा है कि वह कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद जल्द से जल्द प्रवेश प्रक्रिया को सामान्य करने का प्रयास करेगी।
इस देरी ने राज्य के उच्च शिक्षा ढांचे और आरक्षण नीति में पारदर्शिता व प्रशासनिक दक्षता को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। कॉलेज अब इस असामान्य परिस्थिति से निपटने के लिए त्वरित समाधान खोजने में लगे हैं।
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