बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में होने वाले मतदान के लिए माहौल गर्म हो गया है। इस चरण में कुल 121 सीटों पर वोट डाले जाएंगे, जहां सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और विपक्षी महागठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिल रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस बार का चुनाव पूरी तरह संतुलित दिखाई दे रहा है, क्योंकि दोनों गठबंधनों की स्थिति कई क्षेत्रों में लगभग समान है। हालांकि, इस बार का चुनावी समीकरण प्रशांत किशोर की नई राजनीतिक पार्टी जन सुराज पार्टी के मैदान में उतरने से और दिलचस्प हो गया है। माना जा रहा है कि किशोर की पार्टी कई सीटों पर पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगा सकती है और परिणामों को प्रभावित कर सकती है।
पहले चरण में मतदान मुख्य रूप से मगध, मिथिलांचल और सीमांचल क्षेत्रों में होगा, जहां जातीय समीकरण, स्थानीय मुद्दे और विकास के वादे प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। एनडीए जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व और केंद्र सरकार की योजनाओं को अपना मुख्य आधार बना रहा है, वहीं महागठबंधन बेरोजगारी, शिक्षा और महंगाई जैसे मुद्दों को लेकर जनता के बीच प्रचार कर रहा है।
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विश्लेषकों का मानना है कि कुछ सीटों पर छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका भी निर्णायक साबित हो सकती है। चुनाव आयोग ने निष्पक्ष मतदान के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं।
बिहार का यह चुनाव न केवल सत्ता परिवर्तन का संकेत दे सकता है, बल्कि राज्य की राजनीति में नए समीकरण भी स्थापित कर सकता है, खासकर जन सुराज पार्टी की उपस्थिति के बाद।
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