बिहार में सर्वे ऑफ़ इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन (SIR) के नवीनतम आंकड़ों ने महिलाओं के नामों में उच्च स्तर की कटौती को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस प्रक्रिया में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के नामों को अधिक संख्या में वोटर लिस्ट से हटाया गया है।
चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य के विभिन्न जिलों में महिलाओं की बड़ी संख्या को मतदाता सूची से हटाया गया या उनका नाम अपडेट नहीं किया गया। यह असमानता न केवल मतदाता अधिकारों की रक्षा के लिए चिंता का विषय है, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि महिला मतदाता सूची में इस तरह की कटौती लंबे समय तक उनके राजनीतिक प्रतिनिधित्व और मतदान अधिकार पर प्रभाव डाल सकती है। इसके अलावा, यह सामाजिक और प्रशासनिक दृष्टि से असमानता को भी दर्शाता है, क्योंकि महिलाओं का अपेक्षाकृत कम दर्ज होना लोकतांत्रिक हिस्सेदारी में कमी का संकेत देता है।
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अधिकारियों ने बताया कि SIR प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन करना और वास्तविक प्रवासियों को शामिल करना है। लेकिन यह स्पष्ट है कि महिलाओं के नामों में अपेक्षाकृत अधिक हटाव अन्य कारणों, जैसे पहचान संबंधी दस्तावेजों की कमी या पंजीकरण में तकनीकी त्रुटियों से भी हो सकता है।
राजनीतिक विश्लेषक और समाजशास्त्री इस मुद्दे को गंभीर मानते हैं और कहते हैं कि महिला मतदाता प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए।
इससे यह स्पष्ट होता है कि SIR प्रक्रिया में सुधार और लैंगिक समानता पर ध्यान देना आवश्यक है, ताकि सभी नागरिक अपने मत का उपयोग स्वतंत्र और सुरक्षित रूप से कर सकें।
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