बिहार में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) कराने के फैसले को लेकर चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट आज से सुनवाई फिर शुरू करेगा। शीर्ष अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए 12 और 13 अगस्त की तारीख तय की है।
यह मामला कई याचिकाओं से जुड़ा है, जिनमें चुनाव आयोग के इस कदम को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि चुनाव से पहले इस तरह की विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया मतदाता सूची में अनावश्यक बदलाव ला सकती है और इससे चुनाव की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है। उन्होंने आरोप लगाया कि SIR प्रक्रिया राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल की जा सकती है।
चुनाव आयोग ने अपने बचाव में कहा है कि SIR एक नियमित और पारदर्शी प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन करना और उसमें किसी भी त्रुटि को सुधारना है। आयोग का तर्क है कि यह प्रक्रिया चुनावी पारदर्शिता को बढ़ाती है और यह सभी राजनीतिक दलों के लिए समान रूप से लाभकारी है।
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सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान यह देखा जाएगा कि क्या SIR प्रक्रिया चुनाव आचार संहिता, संवैधानिक प्रावधानों और लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप है या नहीं। अदालत का फैसला बिहार के आगामी चुनावी परिदृश्य पर सीधा असर डाल सकता है।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला केवल बिहार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि भविष्य में अन्य चुनावी राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है। सभी की निगाहें अब सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और संभावित फैसले पर टिकी हुई हैं।
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