बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया है कि मराठा आंदोलनकारियों की संख्या को नियंत्रित किया जाए और नए प्रदर्शनकारियों को मुंबई में प्रवेश करने से रोका जाए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रदर्शनकारियों को केवल आज़ाद मैदान तक सीमित रखा जाए, क्योंकि यही वह एकमात्र स्थान है, जहां एक दिन के आंदोलन की अनुमति दी गई थी।
कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा कि कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने से रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं। अदालत ने यह टिप्पणी तब की जब सरकार ने बताया कि बड़ी संख्या में आंदोलनकारी मुंबई की ओर बढ़ रहे हैं और स्थिति तनावपूर्ण हो सकती है।
हाईकोर्ट ने कहा कि आंदोलनकारियों का अधिकार सुरक्षित है, लेकिन उसे कानून के दायरे में और निर्धारित स्थान पर ही प्रयोग किया जाना चाहिए। अदालत ने जोर देकर कहा कि अगर प्रदर्शनकारियों की संख्या नियंत्रण से बाहर हो गई, तो इससे सार्वजनिक व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
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सरकार ने अदालत को आश्वासन दिया कि सभी प्रवेश मार्गों पर निगरानी बढ़ाई जाएगी और आंदोलनकारियों को आज़ाद मैदान के अलावा कहीं इकट्ठा नहीं होने दिया जाएगा। पुलिस को भी निर्देश दिया गया है कि स्थिति पर सतर्क निगरानी रखी जाए और किसी भी प्रकार की हिंसा या अराजकता को सख्ती से रोका जाए।
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर राज्य में लंबे समय से आंदोलन जारी है। हाईकोर्ट का यह फैसला ऐसे समय आया है जब आंदोलनकारियों का बड़ा जत्था मुंबई पहुंचने की तैयारी में है।
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