भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की वरिष्ठ नेता ब्रिंदा करात ने छत्तीसगढ़ में ननों की गिरफ्तारी को ‘‘मनगढ़ंत मामला’’ करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई न केवल जनजातीय महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह पुलिस द्वारा बिना किसी ठोस जांच के, बजरंग दल की शिकायत पर की गई है।
करात ने कहा कि जिन ननों को गिरफ्तार किया गया, वे वर्षों से आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा और सामाजिक सेवा का काम कर रही थीं। लेकिन बजरंग दल ने उन पर जबरन धर्मांतरण कराने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने बिना जांच किए कार्रवाई कर दी। उन्होंने इसे कानून के दुरुपयोग और अल्पसंख्यकों को डराने का प्रयास बताया।
उन्होंने आगे कहा कि यह मामला भारतीय संविधान में दिए गए धर्म की स्वतंत्रता और महिला अधिकारों का भी सीधा उल्लंघन है। करात ने छत्तीसगढ़ सरकार से मांग की कि ननों के खिलाफ दर्ज मामले को तत्काल वापस लिया जाए और पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए जिन्होंने बिना सबूत गिरफ्तारी की।
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सीपीआई(एम) नेता ने यह भी कहा कि यह घटना आदिवासी समुदायों में धार्मिक स्वतंत्रता को कुचलने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से मांग की कि आदिवासी क्षेत्रों में कार्यरत मिशनरियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान की जाए और ऐसे ‘‘मनगढ़ंत मामलों’’ से बचाया जाए।
यह मामला देशभर में राजनीतिक और सामाजिक बहस का विषय बन गया है, जहां विभिन्न मानवाधिकार संगठन भी ननों की रिहाई और न्याय की मांग कर रहे हैं।
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