चेन्नई निगम ने मद्रास हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ₹18.85 करोड़ की लागत से मंदिर की जमीन खरीदने का निर्णय लिया है, ताकि वहां चल रहे स्कूल को जारी रखा जा सके। यह फैसला न्यायमूर्ति एन. आनंद वेंकटेश की मध्यस्थता से हुआ, जिन्होंने दोनों पक्षों — निगम और मंदिर प्रशासन — को छात्रों के हित में समझौते के लिए राज़ी किया।
यह मामला लंबे समय से अदालत में लंबित था। मंदिर प्रशासन अपनी भूमि को पुनः प्राप्त करना चाहता था, जबकि निगम का कहना था कि इस भूमि पर स्थित स्कूल में लगभग 2,500 छात्र पढ़ते हैं और जमीन खाली करने से उनकी शिक्षा बाधित हो जाएगी।
न्यायमूर्ति वेंकटेश ने विचार-विमर्श के बाद ₹18.85 करोड़ की राशि को उचित मानते हुए इसे अंतिम भुगतान मूल्य के रूप में तय किया। अदालत ने स्पष्ट किया कि शिक्षा से जुड़ा यह मामला केवल संपत्ति विवाद के आधार पर नहीं सुलझाया जा सकता, बल्कि इसमें छात्रों के भविष्य को प्राथमिकता देनी होगी।
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चेन्नई निगम ने इस राशि का भुगतान करने और भूमि का अधिग्रहण करने पर सहमति जताई। वहीं मंदिर प्रशासन ने भी समझौते को स्वीकार करते हुए कहा कि यह कदम छात्रों के हित में है और धार्मिक संस्थान की गरिमा को बनाए रखेगा।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह समाधान शिक्षा और सार्वजनिक हित के बीच संतुलन स्थापित करने का उदाहरण है। यह निर्णय अन्य मामलों में भी मार्गदर्शक साबित हो सकता है, जहां संपत्ति विवाद शिक्षा और जनहित से जुड़े हों।
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