हैदराबाद में 430 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया चेरलापल्ली रेलवे टर्मिनल पिछले साल धूमधाम से उद्घाटित किया गया था। इसे सिकंदराबाद स्टेशन पर बढ़ती भीड़ को कम करने और एक आधुनिक रेलवे हब के रूप में विकसित करने का सपना दिखाया गया था। लेकिन सात महीने बीत जाने के बाद भी यह टर्मिनल अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहा है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, टर्मिनल तक पहुंचने के लिए सड़कों की हालत खराब है और सार्वजनिक परिवहन की सुविधा बेहद सीमित है। यात्री स्टेशन तक आसानी से पहुंचने में दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। इसके अलावा, कई महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट अभी अधूरे हैं, जिससे यात्रियों की संख्या बढ़ाने में बाधा आ रही है।
हालांकि टर्मिनल का बाहरी ढांचा बेहद आधुनिक और भव्य दिखता है, लेकिन अंदरूनी सुविधाएं और प्रबंधन भविष्य की जरूरतों के अनुरूप नहीं हैं। यात्री सुविधाएं, जैसे कि प्रतीक्षालय, कैफेटेरिया और पार्किंग क्षेत्र, अपेक्षा के अनुसार विकसित नहीं किए गए हैं।
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विशेषज्ञों का कहना है कि विज़न और जमीनी हकीकत के बीच बड़ा अंतर है। यदि समय रहते सुधार नहीं किए गए, तो यह परियोजना अपने लक्ष्य – सिकंदराबाद स्टेशन पर दबाव कम करना – को पूरा नहीं कर पाएगी। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि निर्माण कार्य और परिवहन सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए अतिरिक्त कदम उठाए जा रहे हैं।
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