भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [CPI(M)] ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस भाषण की आलोचना करते हुए कहा है कि आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) की प्रशंसा कर उन्होंने शहीदों की स्मृति का अपमान किया है।
सीपीआई(एम) के महासचिव एम.ए. बेबी ने कहा कि आरएसएस को महात्मा गांधी की हत्या के बाद प्रतिबंधित कर दिया गया था और कई इतिहासकारों ने इस संगठन की “साम्प्रदायिक दंगों को भड़काने में भूमिका” को विस्तार से दर्ज किया है। उन्होंने कहा, “जब पूरा देश स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों को याद कर रहा था, तब प्रधानमंत्री द्वारा उस संगठन की प्रशंसा करना, जिसने स्वतंत्रता आंदोलन में कोई योगदान नहीं दिया, राष्ट्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।”
एम.ए. बेबी के अनुसार, मोदी सरकार इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने की कोशिश कर रही है, ताकि आरएसएस की छवि को न केवल सुधारा जा सके, बल्कि उसे स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों के समान स्थान दिया जा सके। उन्होंने कहा कि यह कदम स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों के साथ विश्वासघात है।
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सीपीआई(एम) नेता ने जोर देकर कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर दिया गया भाषण पूरे राष्ट्र को प्रेरित करने और शहीदों के बलिदान को सम्मान देने का अवसर होना चाहिए था, न कि किसी विशेष संगठन के गुणगान का मंच। उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की कि वह इतिहास का सम्मान करें और शहीदों की स्मृति को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल न करें।
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