दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े तीन डॉक्टर—डॉ. उमर उन नबी, डॉ. मुझम्मिल गनई और डॉ. शाहीन शाहिद—स्विट्जरलैंड स्थित एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप Threema के माध्यम से लगातार एक-दूसरे से संपर्क में थे। पुलिस के अनुसार, इसी ऐप का उपयोग कर उन्होंने ब्लास्ट से जुड़ी योजनाएं, नक्शे और संवेदनशील दस्तावेज साझा किए।
जांच में पता चला है कि उमर, जो सोमवार को ब्लास्ट हुई कार चला रहा था, टीम का सबसे कट्टरपंथी सदस्य था। मुझम्मिल और अन्य संदिग्धों की गिरफ्तारी के बाद उसने अपने फोन बंद कर दिए और सभी डिजिटल संपर्क खत्म कर दिए। पुलिस को शक है कि इन लोगों ने प्राइवेट Threema सर्वर भी बनाया था, जिससे उनकी लोकेशन, टास्क और अन्य गतिविधियों को बेहद गुप्त तरीके से साझा किया जा रहा था।
Threema की खासियत यह है कि इसमें किसी फोन नंबर या ईमेल की आवश्यकता नहीं होती। हर उपयोगकर्ता को एक यूनिक ID मिलती है, जिससे उन्हें ट्रेस करना लगभग असंभव होता है। ऐप एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन, मेटाडेटा न रखने और दोनों तरफ से संदेश हटाने जैसी सुविधाएं देता है, जिसने जांच को और मुश्किल बना दिया है।
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पुलिस के अनुसार, तीनों संदिग्धों ने कई बार दिल्ली में रेकी की थी और वे राजधानी में श्रृंखलाबद्ध धमाके (serial blasts) करने की योजना बना रहे थे। अब तक 32 कारों को हमले के लिए तैयार किए जाने की जानकारी मिली है। लाल किले के पास ब्लास्ट हुई कार इनमें से एक थी, जबकि तीन अन्य कारें बरामद हो चुकी हैं।
घटना में मृतकों की संख्या बढ़कर 13 हो गई है और कई लोग अस्पतालों में भर्ती हैं। जांच एजेंसियाँ यह पता लगाने में जुटी हैं कि निजी सर्वर भारत में था या विदेश में और क्या मॉड्यूल के और सदस्य इससे जुड़े थे।
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