दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महिला अधिवक्ता के साथ दुर्व्यवहार करने पर दिल्ली पुलिस के एक सब-इंस्पेक्टर को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिसकर्मी का कर्तव्य कानून का रक्षक बनना है, न कि शिकारी जैसा व्यवहार करना। अदालत ने कहा कि ऐसे व्यवहार से न केवल पुलिस की छवि धूमिल होती है, बल्कि न्याय व्यवस्था और आम नागरिकों का भरोसा भी प्रभावित होता है।
घटना में महिला वकील ने आरोप लगाया था कि ड्यूटी पर तैनात सब-इंस्पेक्टर ने उनके साथ अनुचित और अपमानजनक व्यवहार किया। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पुलिस अधिकारी की हरकतों पर नाराजगी जताई और कहा कि इस तरह की घटनाएं बेहद गंभीर हैं। अदालत ने कहा कि जब महिलाएं न्याय के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाती हैं, तो उन्हें सुरक्षा और सम्मान मिलना चाहिए, न कि डर और अपमान।
हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि ऐसे मामलों में त्वरित और कठोर कार्रवाई हो। अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस बल को अपनी छवि सुधारने और नागरिकों में विश्वास कायम करने के लिए जिम्मेदाराना रवैया अपनाना होगा।
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महिला अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि इस घटना ने उन्हें मानसिक आघात पहुँचाया और पेशेवर रूप से भी अपमानित किया। इस पर अदालत ने कहा कि वकीलों के साथ सम्मानजनक व्यवहार होना आवश्यक है क्योंकि वे न्याय प्रणाली का अभिन्न हिस्सा हैं।
यह मामला एक बार फिर महिला सुरक्षा और पुलिस की जवाबदेही के मुद्दे को सामने लाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में पारदर्शी जांच और कड़ी सज़ा जरूरी है ताकि दोबारा ऐसी घटनाएं न हों।
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