उत्तर भारत में वायु प्रदूषण के चरम मौसम के बीच दिल्ली सरकार द्वारा संचालित राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल लोक नायक जयप्रकाश (LNJP) अस्पताल में सांस संबंधी बीमारियों की दवाओं की भारी कमी सामने आई है। मरीजों का कहना है कि अस्पताल में खांसी की सिरप, इनहेलर, नेब्युलाइज़र सॉल्यूशन और अन्य जरूरी दवाएं उपलब्ध नहीं हैं, जिससे उन्हें निजी मेडिकल स्टोर से दवाएं खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है।
इस सप्ताह दो दिनों के दौरान ओपीडी में इलाज कराने आए मरीजों द्वारा दिखाई गई पर्चियों में यह साफ नजर आया कि अस्पताल की फार्मेसी के कर्मचारियों ने कई दवाओं के नाम काट दिए या उनके सामने “उपलब्ध नहीं” लिख दिया। मरीजों का कहना है कि डॉक्टर दवाएं तो लिख देते हैं, लेकिन फार्मेसी काउंटर पर पहुंचते ही जवाब मिलता है—“यहां कुछ नहीं मिलता।”
दिल्ली में हर सर्दी के मौसम में वायु प्रदूषण के कारण सांस लेने में दिक्कत, खांसी, अस्थमा और अन्य श्वसन रोगों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ जाती है। अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, इस समय ओपीडी में मरीजों की संख्या सामान्य दिनों की तुलना में करीब 20 प्रतिशत तक बढ़ गई है। ऐसे में दवाओं की कमी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
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लोक नायक अस्पताल में आने वाले ज्यादातर मरीज आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से होते हैं, जो सरकारी अस्पतालों पर मुफ्त या सस्ती दवाओं के लिए निर्भर रहते हैं। दवाएं न मिलने के कारण उन्हें बाहर से महंगे दामों पर दवा खरीदनी पड़ रही है, जिससे उनकी जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।
मरीजों ने आरोप लगाया कि प्रदूषण के चरम समय में, जब श्वसन रोगों के मामलों में सबसे ज्यादा वृद्धि होती है, तब भी अस्पताल प्रशासन जरूरी दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित नहीं कर पाया। इस स्थिति ने राजधानी की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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