सुप्रीम कोर्ट में 20 नवंबर 2025 को दिल्ली के पूर्वोत्तर इलाके में वर्ष 2020 में हुए दंगों से जुड़े ‘बड़ी साजिश’ मामले में आरोपित उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई जारी है। गुरुवार की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एस.वी. राजू ने तर्क दिया कि आजकल डॉक्टर और इंजीनियर जैसे पेशेवर लोग अपने क्षेत्र में काम करने के बजाय "राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों" में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि आरोपी शरजील इमाम इंजीनियरिंग ग्रेजुएट हैं और ऐसे कार्यों में संलिप्त रहे हैं।
इससे पहले, 18 नवंबर को हुई सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में कहा था कि फरवरी 2020 में दिल्ली में हुई साम्प्रदायिक हिंसा को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध प्रदर्शनों के “स्वतःस्फूर्त” परिणाम के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उनका कहना था कि यह हिंसा एक सुविचारित साजिश का परिणाम थी।
अदालत पुलिस द्वारा दायर उन जवाबों पर विचार कर रही है, जो जमानत मांगे जाने पर दाखिल किए गए थे। आरोपी—उमर खालिद, शरजील इमाम, मीरान हैदर, शिफा-उर-रहमान, मोहम्मद सलीम खान और गुलफिशा फातिमा—पर UAPA के तहत साम्प्रदायिक हिंसा भड़काने और विद्रोह की साजिश रचने के आरोप हैं। उमर खालिद पिछले पाँच वर्षों से जेल में हैं।
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बहस के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे, जो याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए, ने कहा कि अदालत में उनके मुवक्किलों के भाषणों के केवल “सूक्ष्म” हिस्से चलाए जा रहे हैं, जिससे पूर्वाग्रह पैदा हो रहा है। अदालत ने कहा कि भाषणों के ये हिस्से चार्जशीट का भी हिस्सा हैं, चाहे वे छोटे हों या बड़े।
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