सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय सेना पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी से जुड़े मामले में चल रही ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर लगी अंतरिम रोक को 4 दिसंबर तक बढ़ा दिया है। यह मामला वर्ष 2022 की उनकी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दिए गए कथित बयानों से संबंधित है।
गुरुवार, 20 नवंबर 2025 को न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने सुनवाई को स्थगित कर दिया। अदालत ने बताया कि स्थगन के लिए एक पत्र प्राप्त हुआ है, इसलिए अगली तारीख तय की गई है।
पीठ, इलाहाबाद हाई कोर्ट के 29 मई के उस आदेश के खिलाफ राहुल गांधी की याचिका सुन रही है, जिसमें हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी समन को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
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इससे पहले 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ की अदालत में चल रही कार्यवाही पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी थी। सुनवाई के दौरान पीठ ने गांधी से सवाल किया था कि उन्होंने कैसे दावा किया कि 2,000 वर्ग किमी भारतीय भूमि पर चीन ने कब्जा किया है — “क्या आप मौके पर थे? क्या आपके पास कोई प्रमाण है?” अदालत ने टिप्पणी की थी कि "यदि आप सच्चे भारतीय हैं, तो बिना प्रमाण ऐसे बयान नहीं देंगे।”
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि विपक्ष के नेता को मुद्दे उठाने से रोकना दुर्भाग्यपूर्ण होगा। उन्होंने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 223 का हवाला देते हुए कहा कि किसी आपराधिक शिकायत पर संज्ञान लेने से पहले आरोपी की बात सुनना आवश्यक है, जो इस मामले में नहीं हुआ।
शिकायतकर्ता उदय शंकर श्रीवास्तव ने आरोप लगाया था कि गांधी ने चीन के साथ सीमा विवाद के संदर्भ में सेना के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिए। ट्रायल कोर्ट ने उन्हें मानहानि के आरोपों का सामना करने के लिए समन जारी किया था। गांधी के वकील ने दलील दी कि शिकायत में लगाए गए आरोप पहली नज़र में ही मनगढ़ंत प्रतीत होते हैं और उनके लखनऊ निवासी न होने के कारण अदालत को समन जारी करने से पहले आरोपों की सत्यता की जांच करनी चाहिए थी।
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