पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने उत्तराधिकारी और हाल ही में निर्वाचित उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन को शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि वे इस पद की गरिमा और अधिक बढ़ाएंगे। यह बयान धनखड़ का जुलाई में पद छोड़ने के बाद दिया गया पहला सार्वजनिक वक्तव्य है।
धनखड़ ने कहा कि उपराष्ट्रपति का पद केवल एक संवैधानिक दायित्व नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र की सबसे महत्वपूर्ण संस्थाओं में से एक है। उन्होंने उम्मीद जताई कि राधाकृष्णन का अनुभव, दृष्टिकोण और उनकी निष्ठा भारतीय लोकतंत्र को नई दिशा देंगे।
अपने कार्यकाल का उल्लेख करते हुए धनखड़ ने कहा कि उपराष्ट्रपति का पद चुनौतीपूर्ण होते हुए भी जनता और लोकतांत्रिक परंपराओं की सेवा का सर्वोत्तम अवसर है। उन्होंने राधाकृष्णन को भरोसा दिलाया कि उनका समर्थन और शुभकामनाएं हमेशा उनके साथ रहेगा।
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सी.पी. राधाकृष्णन, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी से लंबे समय से जुड़े रहे हैं, ने उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल कर सबका ध्यान आकर्षित किया। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी बधाई दी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि धनखड़ का यह वक्तव्य न केवल व्यक्तिगत शुभकामना है, बल्कि लोकतांत्रिक परंपरा की निरंतरता का प्रतीक भी है। इससे यह संदेश गया है कि सत्ता परिवर्तन के बावजूद संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा सर्वोच्च बनी रहती है।
धनखड़ के इस बयान को राजनीतिक हलकों में सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है, जो लोकतंत्र में सहिष्णुता और संस्थागत सम्मान की परंपरा को मजबूत करता है।
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