कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। कारण है ज्योतिरादित्य सिंधिया की 2020 की बगावत, जिसने मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार को गिरा दिया था। दोनों नेता अब इस घटना के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
दिग्विजय सिंह का कहना है कि यदि कमलनाथ ने सिंधिया की बातों को सुना होता और समय पर समाधान निकाला होता, तो सरकार नहीं गिरती। वहीं, कमलनाथ का आरोप है कि दिग्विजय सिंह ने पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ाया और सिंधिया को बीजेपी में जाने के लिए परोक्ष रूप से मजबूर किया।
ज्ञात हो कि मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। इसके परिणामस्वरूप कमलनाथ सरकार बहुमत खो बैठी और प्रदेश में भाजपा की वापसी हुई।
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इस पूरे विवाद पर केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने टिप्पणी करने से परहेज किया। उन्होंने कहा कि वे इन राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में शामिल नहीं होना चाहते।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह विवाद कांग्रेस के भीतर गुटबाजी को उजागर करता है और पार्टी की संगठनात्मक कमजोरी की ओर इशारा करता है। 2024 के चुनावी परिदृश्य में यह मुद्दा फिर से चर्चा में आने लगा है।
कांग्रेस के कई नेताओं का मानना है कि पुराने विवादों को कुरेदने से पार्टी को नुकसान होगा और संगठन को एकजुट करने पर ध्यान देना चाहिए। हालांकि, दिग्विजय और कमलनाथ के बीच यह तकरार फिलहाल थमती नहीं दिख रही।
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