कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने केंद्र सरकार पर बेंगलुरु मेट्रो की येलो लाइन परियोजना में अपर्याप्त वित्तीय योगदान को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि इस परियोजना में केंद्र का हिस्सा केवल 20% है, जबकि राज्य सरकार को बाकी खर्च उठाना पड़ रहा है।
शिवकुमार ने अहमदाबाद और बेंगलुरु के बीच कर आवंटन (Tax Allocation) की तुलना करते हुए कहा कि अहमदाबाद को 20% हिस्सा मिलता है, जबकि बेंगलुरु को केवल 10%। उन्होंने कहा, “हमारे साथ भी अन्य बड़े शहरों की तरह बर्ताव होना चाहिए और हमें राष्ट्रीय राजधानी के बराबर महत्व मिलना चाहिए।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह बयान किसी राजनीतिक विवाद को जन्म देने के लिए नहीं है, बल्कि बेंगलुरु के हितों की रक्षा के लिए है। “मैं सिर्फ यह चाहता हूं कि बेंगलुरु को उसके योगदान और जरूरत के अनुसार उचित हिस्सा मिले,”।
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उन्होंने आगे कहा कि बेंगलुरु देश के सबसे बड़े आर्थिक और आईटी केंद्रों में से एक है, जहां से केंद्र सरकार को करों के रूप में भारी राजस्व मिलता है। इसके बावजूद, बुनियादी ढांचे और परिवहन परियोजनाओं के लिए पर्याप्त धन आवंटन नहीं किया जाता।
शिवकुमार ने केंद्र से आग्रह किया कि वह बेंगलुरु की मेट्रो परियोजनाओं में अधिक वित्तीय भागीदारी करे, ताकि ट्रैफिक जाम और प्रदूषण जैसी समस्याओं का प्रभावी समाधान किया जा सके।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि शिवकुमार का यह बयान राज्य और केंद्र के बीच वित्तीय साझेदारी के मुद्दे को फिर से गरम कर सकता है, खासकर ऐसे समय में जब बेंगलुरु तेजी से बढ़ती आबादी और यातायात दबाव से जूझ रहा है।
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