डीएमके सरकार मदुरै में विवादित स्थल पर दीप जलाने से जुड़ी एक अदालती टिप्पणी को लेकर मद्रास हाई कोर्ट के जज जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन के खिलाफ कार्रवाई पर विचार कर रही है। रिपोर्टों के अनुसार पार्टी लोकसभा में उनके हटाने के लिए नोटिस लाने की संभावनाओं की जांच कर रही है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब 1 दिसंबर को जस्टिस स्वामीनाथन ने एक आदेश जारी किया, जिसे डीएमके और विपक्षी नेताओं ने न्यायिक अनुशासन के विरुद्ध बताया।
सूत्रों के अनुसार, कई विपक्षी सांसदों ने उस याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें कहा गया है कि जस्टिस स्वामीनाथन का आदेश “न्यायिक अनुशासनहीनता” के दायरे में आता है। 2017 में इसी मामले में मद्रास हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने स्पष्ट रूप से कहा था कि अदालतें मंदिर के अनुष्ठानों में हस्तक्षेप नहीं करेंगी और न ही दीपक जलाने के सटीक स्थान को निर्धारित करेंगी। ऐसे में जस्टिस स्वामीनाथन का ताज़ा आदेश पूर्व निर्णय के विपरीत माना जा रहा है।
जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन पहले भी कई विवादों के केंद्र में रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि वे अपने फैसलों और टिप्पणियों के जरिए अदालत को तमिलनाडु की सांस्कृतिक बहसों के अग्रिम मोर्चे पर ले आते हैं। हालांकि, उनके समर्थक उन्हें निर्भीक और सिद्धांतवादी न्यायाधीश बताते हैं।
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मदुरै मंदिर दीपक विवाद ने राजनीतिक रूप से भी गर्मी बढ़ाई है। डीएमके सरकार का मानना है कि इस आदेश ने प्रशासन के अधिकार क्षेत्र और धार्मिक मामलों को लेकर बनी परंपरागत सीमाओं को चुनौती दी है। यदि पार्टी इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाती है, तो यह दुर्लभ घटनाओं में से एक होगा जब केंद्र में किसी हाई कोर्ट जज के खिलाफ हटाने की कार्रवाई शुरू की जाएगी।
यह मुद्दा राज्य की राजनीति और न्यायपालिका के बीच तनाव के एक बड़े उदाहरण के रूप में उभर रहा है। आगे की प्रक्रिया लोकसभा में नोटिस को स्वीकार किए जाने या अस्वीकार किए जाने पर निर्भर करेगी।
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