राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि अविभाजित भारत में पिछले 40,000 वर्षों से रहने वाले सभी लोगों का डीएनए एक जैसा है। उन्होंने यह भी कहा कि देश को उन्नति की ओर ले जाने का कार्य केवल कुछ लोगों पर छोड़कर नहीं किया जा सकता, बल्कि इसमें हर नागरिक की भागीदारी आवश्यक है।
भागवत एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, “यदि हमें देश को ऊपर उठाना है, तो यह किसी एक के भरोसे नहीं होगा। हर किसी को अपनी भूमिका निभानी होगी।” उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे समाज में समरसता बनाए रखें और किसी भी प्रकार के भेदभाव से बचें।
भागवत ने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि भारत की सांस्कृतिक जड़ें अत्यंत गहरी हैं और यहां रहने वाले सभी लोग मूल रूप से एक ही वंश से जुड़े हुए हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह साझा पहचान भारत को एक मजबूत राष्ट्र बनाने की दिशा में अहम आधार है।
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आरएसएस प्रमुख ने यह भी कहा कि देश को आगे बढ़ाने के लिए केवल सरकार या किसी संस्था पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा, “सभी को मिलकर काम करना होगा—चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो, उद्योग हो या समाज सेवा। तभी हम अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं।”
विशेषज्ञों का मानना है कि मोहन भागवत का यह बयान सामाजिक एकता और साझा सांस्कृतिक पहचान के संदेश को मजबूत करने के उद्देश्य से दिया गया है।
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