बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग (Election Commission - EC) ने सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि वे अपने विज्ञापनों का पूर्व-प्रमाणीकरण (Pre-Certification) कराएं। आयोग ने कहा कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी प्रचार सामग्री सत्यापित और मानक के अनुरूप हो, और किसी भी तरह की भ्रामक या अनुचित जानकारी का प्रसार न हो।
चुनाव आयोग ने यह भी निर्देश दिया कि उम्मीदवार अपने सामाजिक मीडिया (Social Media) अकाउंट्स के बारे में आयोग को सूचित करें। इससे आयोग को यह पता चलेगा कि कौन-से अकाउंट्स आधिकारिक हैं और किनके माध्यम से पार्टी या उम्मीदवार अपनी जानकारी और प्रचार सामग्री साझा कर रहे हैं।
इस नई व्यवस्था के तहत, मॉनिटरिंग कमेटियां (Monitoring Committees) सभी राजनीतिक दलों के विज्ञापनों की समीक्षा करेंगी और उन्हें पूर्व-प्रमाणित करेंगी। इसका उद्देश्य चुनावी प्रचार में पारदर्शिता बढ़ाना और मतदाताओं को सही जानकारी प्रदान करना है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम चुनाव आयोग द्वारा डिजिटल और पारंपरिक प्रचार दोनों पर नियंत्रण सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। उम्मीदवारों और दलों को अपने विज्ञापनों को समय पर आयोग के पास भेजना होगा ताकि प्रमाणीकरण प्रक्रिया पूरी हो सके।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि प्रमाणित विज्ञापन के बिना प्रचार करना अनुचित माना जाएगा, और ऐसे मामलों में नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। इससे बिहार में चुनावी प्रक्रिया और निष्पक्षता सुनिश्चित होगी।
इस पहल से मतदाता सही और भरोसेमंद जानकारी के आधार पर अपने फैसले लेने में सक्षम होंगे और राजनीतिक दलों द्वारा गलत प्रचार के अवसर कम होंगे।
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