भारत का चुनाव आयोग (ECI) ने सुप्रीम कोर्ट को गुरुवार, 14 अगस्त 2025 को बताया कि वह राजनीतिक दलों के बीच चल रहे “तीव्र मुकाबलों” में फंस गया है। आयोग के वकील ने अदालत के सामने यह मुद्दा उठाया कि आयोग पर पहले ही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) के उपयोग को लेकर कई आरोप लगाए गए थे। अब बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण अभ्यास (Special Intensive Revision Exercise) को कुछ लोगों द्वारा “नागरिकता स्क्रीनिंग” के रूप में पेश किया जा रहा है।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि इस अभ्यास का उद्देश्य केवल मतदाता सूची को अद्यतन करना और उसकी पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। आयोग ने कहा कि इसकी प्रक्रिया में किसी भी नागरिक के अधिकारों को प्रभावित करने का कोई इरादा नहीं है। बावजूद इसके, राजनीतिक दलों और मीडिया में इसे गलत ढंग से प्रस्तुत किया जा रहा है, जिससे भ्रम और विवाद पैदा हो रहा है।
ECI के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आयोग का कार्य लोकतंत्र को मजबूत करना और मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करना है। राजनीतिक दलों के बीच जारी तीव्र प्रतिस्पर्धा ने आयोग की कोशिशों को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। आयोग ने अदालत से उम्मीद जताई कि मामले को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से देखा जाएगा, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित न हो।
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विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव आयोग की यह टिप्पणी उसकी जवाबदेही और लोकतंत्र में उसकी भूमिका को दर्शाती है। राजनीतिक दबाव और आरोपों के बावजूद आयोग ने यह साबित किया कि उसकी प्राथमिकता केवल चुनावी पारदर्शिता और निष्पक्षता है।
कुल मिलाकर, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राजनीतिक दलों के बीच तीव्र मुकाबलों और बिहार में पुनरीक्षण अभ्यास की गलत प्रस्तुति के कारण विवाद बढ़ गया, लेकिन आयोग का उद्देश्य मतदाता सूची को पारदर्शी और सटीक बनाना है।
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