झारखंड के पूर्व मंत्री के खिलाफ कथित रूप से अपने सुरक्षाकर्मियों (बॉडीगार्ड्स) को थप्पड़ मारने और उनके साथ जातिसूचक गालियां देने के आरोप में प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई है। पुलिस ने बताया कि यह मामला अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के प्रावधानों के तहत दर्ज किया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार, पूर्व मंत्री ने अपने बॉडीगार्ड्स से किसी मुद्दे पर बहस के दौरान कथित रूप से दुर्व्यवहार किया। आरोप है कि उन्होंने सुरक्षा कर्मियों को न केवल थप्पड़ मारा बल्कि जातिसूचक शब्दों का भी प्रयोग किया। इससे आहत होकर संबंधित सुरक्षाकर्मियों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि आरोप गंभीर प्रकृति के हैं और अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की जांच संवेदनशीलता के साथ की जाती है।
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इस घटना ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर सरकार और सत्तारूढ़ दल पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि नेताओं द्वारा इस तरह का व्यवहार निंदनीय है और दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
वहीं, पूर्व मंत्री की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। सूत्रों के मुताबिक, वे जल्द ही अपनी सफाई पेश कर सकते हैं।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आरोप साबित होते हैं तो पूर्व मंत्री को कड़ी कानूनी सज़ा का सामना करना पड़ सकता है। यह मामला राजनीतिक और सामाजिक दोनों दृष्टिकोण से संवेदनशील माना जा रहा है।
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