असम कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा के उपनेता गौरव गोगोई ने रविवार (30 नवंबर 2025) को मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर आरोप लगाया कि वे राज्य की छह समुदायों—ताई अहोम, चुटिया, मोरान, मटक, कोच-राजबोंगशी और चाय जनजाति (आदिवासी)—और पहले से मान्यता प्राप्त अनुसूचित जनजाति (ST) समूहों के बीच टकराव को हवा दे रहे हैं। ये छह समुदाय लंबे समय से ST दर्जे की मांग कर रहे हैं।
शनिवार (29 नवंबर) को विधानसभा में एक मंत्रियों के समूह (GoM) की रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें ST सूची में इन समुदायों को समायोजित करने के लिए तीन-स्तरीय श्रेणीकरण (three-tier classification) का प्रस्ताव रखा गया था। रिपोर्ट का उद्देश्य यह स्पष्ट करना था कि नए समुदायों को शामिल करने से पहले से मौजूद ST समूहों के अधिकार प्रभावित नहीं होंगे।
गोगोई ने कहा कि यह रिपोर्ट इस बात को साबित करने में पूरी तरह असफल है कि मौजूदा ST समुदायों के अधिकार और विशेषाधिकार सुरक्षित रहेंगे। उन्होंने दावा किया कि “मुख्यमंत्री विभाजन और शासन की राजनीति कर रहे हैं, जिससे समाज में अनावश्यक तनाव पैदा हो रहा है।”
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कांग्रेस नेता ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर लिखा कि पार्टी हमेशा से इन छह स्वदेशी समुदायों को ST का दर्जा देने का समर्थन करती है, लेकिन यह सुनिश्चित होना चाहिए कि इससे मौजूदा ST समूहों के अधिकारों पर कोई आंच न आए। उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस सरकार के दौरान, उनके पिता और असम के तीन बार मुख्यमंत्री रहे तरुण गोगोई के नेतृत्व में इसी उद्देश्य से विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया था।
उन्होंने कहा कि ST दर्जा सिर्फ़ राजनीतिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि सभी समुदायों के हितों को संतुलित रखते हुए दिया जाना चाहिए, ताकि राज्य में सामाजिक सद्भाव बनाए रखा जा सके।
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