पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस ने राज्य सरकार द्वारा पारित किए गए ‘अपराजिता विधेयक’ को पुनर्विचार के लिए वापस भेज दिया है। इस विधेयक को महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए कठोर प्रावधानों के साथ पेश किया गया था, लेकिन इसमें कुछ प्रावधानों को लेकर गृह मंत्रालय (MHA) ने गंभीर आपत्तियाँ दर्ज की हैं।
राजभवन की ओर से जारी बयान में कहा गया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विधेयक में शामिल मृत्युदंड की धाराओं, न्यायालयों से न्यायिक विवेक छीनने और अपराध के अनुपात में दंड तय करने की प्रक्रिया में असंतुलन पर आपत्ति जताई है।
विधेयक में कुछ अपराधों के लिए अनिवार्य मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है, जिससे न्यायालय के पास सजा तय करने का विवेकाधिकार समाप्त हो जाएगा। साथ ही, कुछ मामलों में अपराध और दंड के बीच संतुलन न होने की बात भी कही गई है, जो संविधान में दिए गए ‘न्याय के सिद्धांतों’ के विरुद्ध माना गया है।
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राज्यपाल ने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि वह विधेयक में इन आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए आवश्यक संशोधन करे और विधेयक को दोबारा भेजे।
इस घटनाक्रम को राज्य सरकार और केंद्र के बीच संवैधानिक अधिकारों की खींचतान के रूप में भी देखा जा रहा है। विधेयक की वापसी से राज्य की राजनीति में एक नई बहस शुरू हो गई है।
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