केंद्र सरकार ने देश में जैव-अर्थव्यवस्था (Bioeconomy) को गति देने और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए उन्नत बायोमैन्युफैक्चरिंग हब (Advanced Biomanufacturing Hubs) की शुरुआत की है। ये हब उच्च प्रदर्शन बायोमैन्युफैक्चरिंग प्लेटफ़ॉर्म (High Performance Biomanufacturing Platforms) के रूप में विकसित किए जाएंगे और इन्हें बायोई3 नीति (BioE3 Policy) के तहत लागू किया जा रहा है।
सरकार का कहना है कि इन हब्स का उद्देश्य जैव-आधारित उद्योगों को मजबूत करना, अनुसंधान और विकास (R&D) को प्रोत्साहित करना तथा भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है। यह पहल दवा निर्माण, कृषि, ऊर्जा, रसायन और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में नए अवसर पैदा करेगी।
बायोई3 नीति का लक्ष्य भारत को जैव-अर्थव्यवस्था में अग्रणी देशों में शामिल करना है। इस नीति के तहत न केवल अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं और परीक्षण सुविधाओं का निर्माण होगा, बल्कि स्टार्टअप्स और उद्योगों को भी प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। सरकार ने स्पष्ट किया है कि ये हब अकादमिक संस्थानों, अनुसंधान केंद्रों और निजी क्षेत्र के साथ मिलकर काम करेंगे, ताकि नई तकनीकों का व्यावसायिक उपयोग तेजी से हो सके।
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विशेषज्ञों का मानना है कि उच्च प्रदर्शन बायोमैन्युफैक्चरिंग हब न केवल उत्पादन क्षमता बढ़ाएंगे बल्कि हरित तकनीक (Green Technology) और सतत विकास (Sustainable Development) को भी प्रोत्साहित करेंगे। यह कदम भारत के आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) और मेक इन इंडिया (Make in India) अभियानों को भी गति देगा।
सरकार को उम्मीद है कि इस पहल से जैव-अर्थव्यवस्था का आकार कई गुना बढ़ेगा और भारत वैश्विक जैव-उद्योग के मानचित्र पर एक अहम स्थान हासिल करेगा।
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